केदारनाथ यात्रा मार्ग में फंसे 3300 यात्रियों को सुरक्षित निकाला
700 श्रद्धालुओं को हेली से किया रेस्क्यू,
सीएम की कड़ी निगरानी और डीएम रुद्रप्रयाग के नेतृत्व में एक्टिव रहा सिस्टम, बेहतर रहा सिस्टम का रिस्पॉन्स,
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, जिला पुलिस और जिला प्रशासन के बेहतर समन्वय से सफल रहा रेस्क्यू,
’भीमबली, रामबाड़ा, लिंचोली में फंसे 700 यात्रियों को किया गया एयरलिफ्ट,
पांच हजार फूड पैकेट्स वितरित,
रोहित डिमरी
रुद्रप्रयाग। जिले में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, जिला पुलिस और जिला प्रशासन के बेहतर समन्वय से केदारनाथ यात्रा मार्ग में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। केदारनाथ यात्रा मार्ग के लिंचोली में फंसे करीब 700 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया। इसके अलावा पैदल यात्रा मार्ग में सोनप्रयाग और भीमबली के बीच फंसे 3300 यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग बनाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है।
बुधवार रात को केदारनाथ धाम से निकलने वाली मां मंदाकिनी नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया, जिस कारण केदारनाथ यात्रा मार्ग के साथ ही पैदल मार्ग के विभिन्न पड़ावों में तीर्थयात्री फंस गए। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद से ही जिला प्रशासन अलर्ट मोड़ में था, जिससे सभी तीर्थयात्रियों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया। केदारनाथ पैदल मार्ग के रामबाड़ा में दो पुलिया मंदाकिनी नदी की भेंट चढ़ गए, जबकि कई जगहों पर पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया। इसके अलावा पैदल मार्ग के विभिन्न जगहों पर मलबा और बोल्डर भी आया हुआ है, जिस कारण तीर्थयात्री जगह-जगह फंस गए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी और डीएम सौरभ गहरवार ने नेतृत्व में चले रेस्क्यू अभियान में हजारों श्रद्धालुओं को पैदल मार्ग से सुरक्षित निकाला गया, जबकि सैकड़ों श्रद्धालुओं को लिनचोली में अस्थाई हेलीपैड तैयार कर एयरलिफ्ट किया गया। डीएम सौरभ गहरवार बृहस्पतिवार प्रातः ही रेस्क्यू अभियान में जुट गए थे और देर रात तक तीर्थयात्रियों की मदद में जुटे रहे। डीएम सौरभ गहरवार हेलीकॉप्टर से लिनचोली पहुंचे, जहां उन्होंने श्रद्धालुओं को पूर्ण विश्वास दिलाते हुए कहा कि जल्द ही उन्हें एयरफ्टि किया जाएगा। इसके बाद डीएम सौरभ गहरवार ने केदारनाथ हाईवे के सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच ध्वस्त हुए राजमार्ग का जायजा लिया। यहां पर चलाए जा रहे रेस्क्यू अभियान का जायजा लिया और तीर्थयात्रियों से संयम बरतने की अपील की। डीएम को सुबह सवेरे अपने पास देखकर तीर्थयात्रियों में खुशी देखने को मिली।
पीएमओ से मिली चिनूक की मदद
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ रेस्क्यू अभियान के लिए पीएमओ ने भी हाथ बढ़ाया है। रेस्क्यू के लिए एयर फोस का चिनूक केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गया है। इसके अलावा तीन टैंकर एटीएफ की मदद भी भेजी गई है। डीएम सौरभ गहरवार ने केन्द्र सरकार से मिली मदद पर पीएम नरेन्द्र मोदी का आभार जताया है।
रेस्क्यू होने पर यात्रियों ने जताया प्रशासन का आभार
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम सहित पैदल यात्रा मार्ग पर फंसे तीर्थ यात्रियों ने रेस्क्यू के बाद अपनी आपबीती बताई और त्वरित रेस्क्यू होने पर जिला प्रशासन का आभार जताया।
हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू हुए यात्रियों ने बताया की बुधवार रात वह काफी डर गए थे। लगातार बारिश हो रही थी और रुकने का नाम नहीं ले रही थी और लगातार आसमान में बिजली भी चमक रही थी। हम रात भर सो नहीं पाए। भीमबली में घटना घटी, लेकिन असर केदारनाथ धाम तक हो रहा था। सुबह के समय मौसम साफ होने पर कुछ राहत की सांस ली। जब प्रशासन ने सभी यात्रियों को हेलीपैड पर एकत्रित करवाया और रेस्क्यू की बात की तो सांस आई। क्योंकि पैदल मार्ग पर भी पूर्ण रूप से आवाजाही बंद हो गई थी। हेलीकॉप्टर में बैठने के लिए यात्री आपस में बहस कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने बारी बारी से सभी को हेली से रेस्क्यू किया। यात्रियों ने बताया की बुधवार की रात कभी न भूलने वाली रात थी। उम्मीद भी नहीं थी की वह बच पाएंगे। यात्रियों ने कहा की रेस्क्यू होने के बाद प्रशासन ने खाने की भी पूरी व्यवस्था की थी।
….जब तीर्थयात्रियों को 2013 जैसा मंजर याद आ गया
रुद्रप्रयाग। दिल्ली के दिलशाद गार्डन शहर से केदारनाथ धाम की यात्रा पर आए ललित ने बताया कि वो दर्शन के बाद लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि गौरीकुंड पहुंचने के बाद रात्रि को हुई अत्यधिक बारिश व अतिवृष्टि के बाद उन्हें 2013 का आपदा जैसा मंजर याद आ गया लेकिन उन्होंने प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि अतिवृष्टि के बाद जिला प्रशासन द्वारा काफी सक्रियता दिखाते हुए मदद की गई। बताया कि लगभग तीन किमी तक प्रशासन की टीमों द्वारा सफल रेस्क्यू किया गया जो अत्यंत सराहनीय है। नेपाल से केदारनाथ धाम के दर्शन को पहुंचे तारकेश्वर सिंह ने बताया कि वह बीती श्यायं को गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए निकले थे तथा कुछ ही दूरी पर जाने के बाद पहले हल्की तथा फिर भारी बारिश होने से वह वहीं पर रुक गए। इसके बाद भीषण बाढ़ आने से वह रात भर वहीं रूक गए। उन्होंने बताया कि आज सुबह एनडीआरएफ की टीम के पहुंचते ही रेस्क्यू किया गया। जिला प्रशासन एवं रेस्क्यू टीमों की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासन व रेस्क्यू की टीमें पूरी तत्परता से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन एवं रेस्क्यू में लगी समस्त रेस्क्यू टीमों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी में बहा 120 मीटर हिस्सा
रुद्रप्रयाग। सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे का एक बहुत बड़ा हिस्सा मंदाकिनी नदी की तेज धारा में बह गया है। जिस कारण केदारनाथ यात्रा पर भी ब्रेक लगा गया है। सोनप्रयाग में ही सोन नदी के कटाव के कारण हाईवे और विद्युत विभाग के पावर हाउस को भी क्षति पहुंची है। सोनप्रयाग में हाईवे को हुए नुकसान के कारण रेस्क्यू कार्य करने में सुरक्षा जवानों को काफी दिक्कतें आई। कठिन पहाड़ी से जवानों ने अपनी जान की प्रवाह किए बगैर भक्तों का रेस्क्यू किया। सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे और भीमबली और रामबाड़ा के बीच पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से पैदल यात्रा शुरू होने में कुछ दिन का समय लग सकता है। हालांकि प्रशासन की टीम जगह जगह तैनात होकर रास्तों को खोलने में जुट गई हैं। सोनप्रयाग में भक्तों का रस्सी के जरिए जवानों ने कठिन पहाड़ी पर रेस्क्यू किया।
गौरीकुंड में गर्म कुंड चढ़ा मंदाकिनी नदी की भेंट,
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा के सबसे मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में संचार व विद्युत सेवा ठप्प है। मंदाकिनी नदी का जल स्तर बढ़ने से गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड एक बार फिर आपदा की भेंट चढ़ गया है। जबकि घोड़ा पड़ाव गौरीकुंड को भी नुकसान होने की सूचना है। गौरीकुंड स्थित सटल सेवा वाहन पार्किंग को भी भारी क्षति पहुंची है। इतना ही नहीं पार्किंग में खड़े कुछ वाहनों के भी बहने की सूचना है। हालांकि जब वाहान बहे, उस समय उनमें कोई मौजूद नहीं था। गौरीकुंड ने 2013 की आपदा के बाद दोबारा फिर आपदा का दंश झेला है। रात के समय ही प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए गौरीकुंड के निचले हिस्से को खाली करवा दिया था। अन्यथा एक बड़ी घटना घट सकती थी।
श्रद्धालुओं के लिए देवदूत बने डीएम सौरभ गहरवार,
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार एक बार फिर से पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं। रात के समय जिलाधिकारी यात्रा कंट्रोल रूम से हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे और रेस्क्यू टीमों को अलर्ट कर दिया था। वहीं सुबह होते ही डीएम पहले सोनप्रयाग और फिर लिंचोली व भीमबली पहुंच गए। सबसे पहले डीएम ने जगह जगह रात को सुरक्षित स्थानों पर रोके गए यात्रियों को लिनचोली हेलीपैड पर एकत्रित किया और फिर तीन हेलीकॉप्टरों को रेस्क्यू में लगा दिया। स्वयं डीएम कभी शेरशी से तो कभी लिंचोली में रेस्क्यू अभियान में जुटे रहे। डीएम ने अलग से रेस्क्यू टीम भी पैदल मार्ग के अन्य जगह भेज दी। जबकि कुछ टीमों को भीमबली से नीचे फंसे यात्रियों के रेस्क्यू में लगा दिया। डीएम ने नदी किनारे और पैदल रास्तों पर भी जवानों को भेजा, जिससे पता चल सके की कोई कही फंसा हुआ तो नहीं है। डीएम की सतर्कता से एक बार फिर हजारों लोगों की जान बच पाई।