पैदा होने पर हार्ट नहीं कर रहा था काम, सांस लेने में हो रही दिक्कतें, शिशु ने गर्भ में ही मल त्याग देने से फेफड़ों में आ गई थी दिक्कतें
बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने बेहतर इलाज देकर दिया जीवनदान
माता-पिता ने शिशु को बेहतर इलाज देने पर जताया आभार
श्रीनगर। मनीषा और अनुज के शिशु का बेस चिकित्सालय में 12 जुलाई को जन्म हुआ, किंतु शिशु के जन्म होते ही हालत गम्भीर थी, शिशु सांस ठीक से नहीं ले पा रहा था और शिशु ने गर्भ में ही मल त्याग देने से फेफड़ों में दिक्कतें आ गई थी। जिस पर बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने शिशु की गंभीर हालत को देखते हुए नीक्कू वार्ड में वेंटीलेटर पर रखा और आवश्यक दवाईयां चलाई। लगभग 18 दिनों तक चले इलाज के बाद शिशु की हालत में सुधार हुआ हुआ और मंगलवार को मनीषा और अनुज अपने स्वस्थ्य बच्चे को बेस चिकित्सालय के घर लगे गये। मनीषा और अनुज ने बेहतर इलाज मिलने पर बाल रोग विभाग के डॉक्टरों का आभार प्रकट किया।q
बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सीएम शर्मा ने बताया कि श्रीनगर अपर बाजार निवासी मनीषा अस्पताल में प्रसव कराने के लिए पहुंची थी। प्रसव होने के बाद मनीषा के शिशु को सांस लेने में काफी दिक्कतें आ गई थी और शिशु का हार्ट भी सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। जबकि गर्भ में ही शिशु ने मल त्याग करने से फेफड़ों में भी दिक्कतें आ गई थी। सांस लेने में नवजात शिशु को काफी दिक्कतें आ रही थी, तो बच्चे को तीन दिनों तक वेंटीलेटर पर रखा गया। डॉ. शर्मा ने बताया कि बच्चे का हार्ट भी ढ़ग से काम नहीं करने पर तीन-तीन प्रकार की हार्ट संबंधी दवा शिशु को उपचार के दौरान दी गई। धीरे-धीरे शिशु की हालत में सुधार आया तो मां का दूध पीने लगा। 18 दिनों तक चले इलाज के बाद स्वस्थ्य होने पर मंगलवार को शिशु को अस्पताल से छूट्टी दे दी गई।
शिशु की मां मनीषा एवं पिता अनुज ने बेस चिकित्सालय के डॉक्टरों द्वारा उनके शिशु का बेहतर इलाज करने पर आभार जताया गया। कहा कि जब उनके शिशु में सांस लेने संबंधी दिक्कतें और हार्ट की दिक्कत बताई गई तो वह डर गये थे, किंतु डॉक्टरों ने बेहतर चिकित्सा देकर उनके बच्चे का सफल इलाज कर घर में नई खुशी दी। उन्होंने अस्प्ताल में आधुनिक वेंटीलेटर सहित तमाम सुविधा बेहतर करने पर चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग व उत्तराखंड सरकार आभार प्रकट किया। बच्चे के इलाज के दौरान बाल रोग विभाग की अस्टिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंकिता गिरी, जेआर डॉ. अर्चिता, डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. उर्वशी एवं नर्सिंग स्टाफ पंकज, साइबा आदि ने भरपूर सहयोग दिया।