प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत रहेगे मुख्य अतिथि
श्रीनगर। प्रजापिता बह्मकुमारी ईश्वरीय विवि के सहयोग से 18 मार्च को श्रीनगर में एचएनबी गढ़वाल केन्द्रीय विवि के बिड़ला परिसर के एसीएल हॉल में महासम्मेलन आयोजित होगा। महासम्मेलन में मुख्य वक्ता प्रजापिता बह्माकुमारी ईश्वरीय विवि की शिपिंग, एविएशन एंड टूरिज्म विंग की नेशनल समन्वयक एवं अर्न्तराष्ट्रीय वक्ता राजयागिनी बीके कमलेश दीदी रहेगी। जो मुम्बई से श्रीनगर के लिए पहुंच चुकी है।

रविवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए बीके कमलेश एवं विवि के गढ़वाल सर्कल के निदेशक बीके मेहर चंद ने बताया कि महासम्मेलन में मुख्य अतिथि प्रदेश के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत रहेगे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता गढ़वाल विवि के कुलसचिव एवं पर्यटन विभाग के एचओडी डॉ. राकेश कुमार ढोडी करेगे। अति विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी, विशेष आमंत्रित सदस्य प्रतीक कर्नवाल सचिव चारधाम होटल एसोसिएशन, राजेश मेहता, बद्रीनाथ होटल एसोसिएशन सहित गढ़वाल मंडल से समस्त राजयोग केन्द्रों की बीके बहिने, भ्रांता और होटल व्यवसायी मौजूद रहेगे। बीके कमलेश दीदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के तीन मूल तत्व है। जिन्हें हम भूल चुके है। भारतीय संस्कृति का पहला मूल तत्व अतिथि देवो भव: सम्मान से स्वागत करते, दूसरा वसुधैव कुटुंबकम एक तरह से रहते है हम सभी भारतीय है और तीसरा संस्कृत का तत्व सर्वे भवन्तु सुखिनः हरके को सुख मिले, किसी को रोग ना हो। इन्हीं तत्वों को लेकर आगे बढ़ना होगा। कहा कि पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर आज हम अंहकार के चपेट में आकर संघर्षपूर्ण जीवन जीवन को विवश हो रहे है। कहा कि भारतीय संस्कृति में नमस्ते और पैर छुकर और तोड़ा सिर झु़काकर अभिवादन या सम्मान किया जाता है, जिससे नम्रता आती है, नम्रता आयेगी तो अंहकार नहीं रहेगा। इसलिए नम्रता लाने के लिए मुस्कान के साथ सेवा का भाव चरितार्थ करना होगा। बीके कमलेश ने बताया कि उत्तराखंड देवभूमि है और यहां पर्यटन के साथ ही तीर्थाटन को बढ़ा स्कोप है। नैसर्गिक सौंदर्य यहां की प्रकृति है और आध्यात्मिक यहां के देवों के मंदिर है।इन्हीं को बढ़ावा देने के लिए प्रजापिता बह्माकुमारी ईश्वरीय विवि का पर्यटन विंग द्वारा संस्कृति, प्रकृति और प्रगति पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर बीके नीलम, नीतिश, भोपाल आदि मौजूद थे।
