माननीय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के प्रयासों से स्थापना काल के बाद वर्ष 2018 उपरांत अस्पताल की बदली सूरत।
नये चिकित्कीय संसाधनों, स्थाई डॉक्टरों एवं नर्सिंग, टैक्नीशियनों की हुई तैनाती।
प्राचार्य बोले, हर तीन माह में मीडिया से संवाद करेगा मेडिकल कॉलेज प्रशासन।
श्रीनगर। राजकीय मेडिकल कॉलेज में सोमवार को मीडिया संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मेडिकल कॉलेज में विगत सात सालों के भीतर हुए मरीजों के हित में हुए कार्यो, फैकल्टी तैनाती से लेकर स्टॉफ और आगामी दिनों में होने वाले विकास कार्यो के बारे में जानकारी दी गई। प्रदेश के माननीय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के प्रयासों से स्थापना काल के कई सालों के बाद मेडिकल कॉलेज व टीचिंग अस्पताल की बदली सूरत का लेखा-जोखा रखा गया है। साथ ही बैठक में अब हर तीन माह में मीडिया संवाद कार्यक्रम करने का निर्णय लिया गया।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल बेस को नया स्वरूप दिया जा रहा है। माननीय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के अथक प्रयासों से बेस अस्पताल को चार मंजिला बनाने की कवायद चल रही है। जिसका डिजायन तैयार कर दिया है। निदेशालय स्तर पर पहली वैठक हो गई है।डिजायन का अवलोकन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज पर चार जिलों के साथ ही चारधाम यात्रा की चिकित्सा सेवा का जिम्मा है। सरकार व शासन सतर से यहां आज मरीजों को सेवाएं देने के लिए हर तरह की सुविधाएं परिपूर्ण करायी गई है। कहा कि सीटी, एमआरआई, वेंटीलेटर, आईसीयू, ब्लड़ बैंक में तमाम सेक्शन, यहां तक अत्याधुनिक लैब बीएसएल-3 लैब, जीन सीक्वेंसिंग लैब के आज विभिन्न बीमारियों का पता लगाने का कार्य के साथ- साथ प्रत्येक विभाग को अत्याधुनिक उपकरणो से लैस कर दिया गया है। एनाटॉमी विभाग में चार करोड़ की हाईटेंक मशीन आयी है, जिसके जरिए छात्र मानव शरीर की चिकित्सा शिक्षा ले रहे है। फैकल्टी तैनाती के लिए लगातार कार्य हो रहा है। हर माह साक्षात्कार आयोजित हो रहे है। 300 से अधिक कर्मचारियों के वेतन मे बढोतरी कर एकरूपता लाई गई। बेस अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज शत-प्रतिशत आयुष्मान से कराये जाने का कार्य किया जा रहा है। समस्त भर्ती मरीजो की सभी जाचें व दवाईया निशुल्क प्रदान की जा रही है। जिसके लिए दो एमएसडब्ल्यू की तैनाती की गई है। आभा आईडी के जरिए अब हर दिन 150-250 तक मरीज रजिस्ट्रेशन कर रहे है। प्रधानमन्त्री जन औषधी केन्द्र बहुत अच्छा चल रहा है। प्राचार्य ने बताया कि हेल्प डेक्स बनाकर आम जनता को अस्पताल संबंधी जानकारी दी जा रही है। अस्पताल में 25-30 प्राइवेट वार्ड बनाने का कार्य चल रहा है। फैकल्टी के लिए टॉजिस्ट हॉस्टल बनाने का कार्य चल रहा है तथा एमबीबीएस छात्रों के लिए हॉस्टल के रिनोवेशन के साथ – साथ तमाम सुविधाएं दी जा रही है। कोटेश्वर डैम कॉलोनी की छह हेक्टेयर भूमि पर मेडिकल कॉलेज के लिए स्टेडियम बनेगा, पैरामेडिकल कॉलेज एवं आवास बनने जा रहे है। गहड़ में नर्सिंग कॉलेज बनाने की कार्यवाही निदेशालय स्तर पर चल रही है। इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजेय विक्रम सिंह ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की तमाम सुविधाओं को लेकर रात-दिन पूरे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व सपोर्टिंग स्टाफ पूरी तन्मयता से अपनी सेवाएं दे रहे है। मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. केएस बुटोला, ब्लड़ बैंक की अध्यक्ष डॉ. दीपा हटवाल आदि ने भी अपने विचार रखे। कहा कि जील 2024 को अनुशासन के साथ एमबीबीएस बेंच 2020 द्वारा कार्यक्रम किया गया। छात्रों के कार्यक्रमों को मीडिया द्वारा बेहतर केवरेज के लिए आभार जताया गया।
डायलिसिस यूनिट की तकनीकी दिक्कतें बताई–
बेस चिकित्सालय में डायलिसिस यूनिट को ठीक कराने के लिए जिन कंपनियों की मशीनें लगी है उन्हें कपंनियों के इंजीनियरों द्वारा लगातार डायलिसिस यूनिट में खामियों को ढूढ़ा जा रहा है। पूरी लाईन पैक्स पाइप से लेकर मशीने के अन्य उपकरणों को बदल दी गई है। जिसके बाद तीन जगह से आरो का पानी के सैंपल का जांच के लिए पुन: दिल्ली भेज दिया गया है। जिसकी एक हपते मे रिपोर्ट आने के बाद डायलिसिस की सुविधा शुरु करने की कार्यवाही की जायेगी। मेडिसिन विभाग के एचओडी मेडिसिन डा. केएस बुटोला ने बताया कि एकदम आयी खराबी के बाद लगातार अस्पताल प्रशासन एवं इंजीनियरों की टीम डायलिसिस यूनिट में बदलाव करने में जुटी है। दून मेडिकल कॉलेज की डायलिसिस यूनिट से टीम ने यहां पहुंचकर निरीक्षण किया। जिसमें डायलिसिस मशीनों में जो जो कमिया बताई गई उसको पूरा करने के साथ ही आरो प्लांट से आने वाले पैक्स पाइपों पूरा बदल दिया गया है। जनता को डायलिसिस की सुविधा मिले इसके लिए लगातार अस्पताल प्रशासन इंजीनियरों के साथ जुटा है और जो-जो बदलाव करने है वह किये जा रहे है। यहीं नहीं टैंकों की हर 10 दिनों में सफाई की जा रही है। पूर्व में जब बेस अस्पताल में डायलिसिस यूनिट जब सुचारू थी तो कई लोगों को तीन शिफ्टों में सेवाएं दी है। यहां तक कि कई गंभीर परिस्थिति में मरीज के पहुंचने पर रात्रि को भी इमरजेंसी में डायलिसिस करायी गई थी। अस्पताल प्रशासन दस दिन के अन्दर बैकअप मशीन भी लगाने जा रही है। कम्पनी को आर्डर भेज दिया गया है।
डायलिसिस यूनिट के इंचार्ज को किया प्राचार्य कार्यालय अटैच-
डायलिसिस यूनिट में आयी खराबी के बाद चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजेय विक्रम सिंह की जांच के बाद डायलिसिस यूनिट के इंचार्ज सिकंदर सिंह पुनिया को डायलिसिय यूनिट संचालन में बरती गई लापरवाही पर प्राचार्य कार्यालय अटैच कर दिया है। चिकित्सा अधीक्षक अजेय विक्रम सिंह ने बताया कि जांच में पाया गया कि यूनिट इंचार्ज द्वारा समय-समय पर डायलिसिस यूनिट में की गई रखरखाव सहित अन्य जानकारियों का किसी भी प्रकार से लेखा-जोखा नहीं रखा गया था। जिस पर इंचार्ज अधिकारी की लापरवाही मानते हुए उसे प्राचार्य कार्यालय अटैच किया गया है। जबकि नर्सिंग अधिकारी मोहर सिंह को अग्रिम आदेशो तक यह जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही अब नये नर्सिंग अधिकारियों को डायलिसिस यूनिट संचालन के लिए ट्रैनिंग पर भेजे जाने का भी निर्णय लिया गया है।