पुल का टॉवर गिरते समय कोई भी मजदूर नहीं कर रहे थे कार्य,
घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच कमेटी गठित करने के निर्देश,
रुद्रप्रयाग। ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर नरकोटा में निर्माणाधीन उत्तराखंड के पहले सिग्नेचर ब्रिज का एक छोर धराशाही हो गया है। गनीमत यह रही कि जिस समय पुल गिरा, उस समय कोई भी मजदूर कार्य नहीं कर रहा था। वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था। जिला प्रशासन ने इस घटना में जांच के आदेश दे दिये हैं।
दरअसल, ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के निकट नरकोटा में ऑल वेदर परियोजना के तहत लगभग 66 करोड़ की लागत से 110 मीटर लम्बाई वाले सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। उत्तराखंड का नरकोटा में यह पहला सिग्नेचर ब्रिज बन रहा है। 2021 से इस पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। 2022 में भी इसका बेस गिर गया था और हादसे में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी। इसके बाद पुल निर्माण कार्य ने तेज गति पकड़ी और अगले वर्ष 2025 अप्रैल माह तक पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होना है। गुरूवार दोपहर को अचानक पुल के एक छोर का टॉवर धराशायी हो गया। हादसे के समय कोई भी मजदूर पुल पर कार्य नहीं कर रहा था। पुल निर्माण के लिए रेल विकास निगम ने पैंसा दिया है। क्योंकि जहां पहले बद्रीनाथ हाईवे था, वहां पर रेलवे की टनल बन रही है। रेलवे ने राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड श्रीनगर को यह कार्य दिया है और एनएच ने आरसीसी नामक कार्यदायी संस्था को पुल का कार्य सौंपा है। उत्तराखंड में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर यह पहला सिग्नेचर पुल बन रहा है।
जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र बिष्ट, उप प्रधान नरकोटा कुलदीप जोशी एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपक सिलोड़ी ने कहा कि आरसीसी कंपनी की ओर से सिग्नेचर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब से इस पुल का कार्य शुरू हुआ है, तब से ही इसके निर्माण कार्य पर सवाल खड़े हुए हैं। शुरूआत में पुल के बेसमेंट निर्माण के दौरान भी बड़ा हादसा हुआ, उसके बाद भी कंपनी ने सबक नहीं लिया। इसके अलावा जहां-जहां आरसीसी कंपनी की ओर से पुलों का निर्माण किया गया, वहां हादसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिए। वहीं उप जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग आशीष घिल्ड़ियाल ने बताया कि पुल का निरीक्षण किया गया है। इसमें जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। जांच के बाद ही घटना के कारणों का पता लग पाएगा।